*कितना भी पश्चाताप,*
*भूतकाल को हल नहीं कर सकता....*
*और कितनी भी चिंता,*
*भविष्य को नहीं बदल सकती......*
*श्रेष्ठ वर्तमान ही सुखद भविष्य की नींव है , उसी को सींचे जाये।*
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