"अबकि नूतन वर्ष में"
अबकि नूतन वर्ष में एक प्रण हम करते हैं,
टूटे-फूटे रिश्तो की चलो मरम्मत करते हैं।
बहुत हुआ रिश्तो की बखिया उधेड़ना,
अब एक काम करते हैं,
खफा हुए जो संगीसाथी,
उनका अभिनंदन करते हैं।
अबकि नूतन वर्ष में....
जिनसे ना मिले हो एक अरसे से,
उनकी नाराजगी दूर करते हैं,
मिलकर खुद अपनी तरफ से,
रिश्तो में...फूलों की सी महक भरते हैं।
आपकी नूतन वर्ष में....
दम तोड़ते कुछ रिश्तो में,
नई ऑक्सीजन भरते हैं,
चोट लगे हुए रिश्तो पर,
स्नेह का मरहम....….रखते हैं।
अबकि नूतन वर्ष में....
करके दूर गलतफहमियां दिलों की,
खुशफहमियां भरते हैं,
बड़ा के एक कदम हम आगे,
चलो.....खुशियों की महफिल रखते है।
अबकि नूतन वर्ष में....
बड़े बच्चों और हम उम्र अपनों से,
प्रेम लगाव का बंधन रखते हैं
जो आज दूर है हमसे किसी भी वजह से,
उनसे एक... बेतकल्लुफ भेंट करते हैं।
अबकि नूतन वर्ष में...
समझना ना खुद को छोटा अगर तुम,
पहल ऐसी यदि करते हो,
बड़ा वही जो दूसरों की भूल भूल कर,
प्यार से ....गले मिलते हैं।
अबकि नूतन वर्ष में..
ऋतु
No comments:
Post a Comment